
कोई भी देश इस अछूता नहीं है , कोई भी व्यक्ति इससे बाहर नहीं है।
जहाँ एक तरफ टीकाकर्ण पर भारत सरकार की सफलता सामने नज़र आती है वही दूसरी तरफ अपने बदलते अंदाज़ में वायरस भी नज़र आ रहा है।
लेकिन मंकीपॉक्स जहाँ देखा जाए यह भी बुखार से जुडी एक नई बीमारी है जिसे मंकी फीवर के नाम से भी जाना जाता है। भारत देश में इसका पहला मामला आने से चिंता बड़ गई है चिंता इस पर भी चिंतन करना ज़रूरी हो गया है और एक्सपर्ट की टीम इस वायरस पर भी नज़र बनाए हुए है।
भारत सरकार के द्वारा इस पर भी निगाह राखी जा रही है और इस बीमारी से कैसे बचाव किया जाए इसके उपाय ढूढ़ने तेज कर दिए है। देखने को मिलता की जहाँ अभी भी ओमिक्रोण वायरस , कोवीड के मामले दिन ब दिन सामने नज़र आ रहे है वही मंकीपॉक्स वायरस ने भी डर का माहौल पैदा कर दिया है।
मंकीपॉक्स का वायरस फ्लाविवीराइडा फैमिली से उत्पन होता है और यह बीमारी बहुत तेजी से फैलती है
इसके संक्रमण में आने के बाद व्यक्ति फारेस्ट डीजीज़ ( के ए फ डी )से ग्रस्त पाया जाता है।
इसका एक वयक्ति से दुसरे वयक्ति में जाना बहुत आसान माना गया है वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन ने चेतावनी भी दी है और अवगत भी किया की इससे सिकन इन्फेक्शन, निमोनिया , आँखों की समस्या शामिल है , (WHO ) के अनुसार यह देखा गया है की शुरआती लक्षण बुखार , सिरदर्द , मासपेशियां में दर्द , पीठ में दर्द , सूजन लिम्स नोड्स , ठण्ड लगना और थकावट हो सकती है और इसकी शुरुआत चहरे से होती है आमतौर पर। 6 -13 दिनों में इसका असर दिखाई देना शुरू हो जाता है। .
किया अब कोविड के साथ साथ यह वायरस भी अपना कहर दिखाए गा यह आने वाला समय ही बताएगा। दुसरे देश इसकी चपेट में आते जा रहे है इसलिए
लेकिन हैरान करने वाली यह भी बात है जब हमें मालूम है की अभी भी मामले बढ़ते नज़र आ रहे है फिर भी लोग फेस मास्क को कियों नहीं पहनते।
केंद्र सरकार के सूत्रों ने कहा कि मंकीपॉक्स "घावों, शरीर के तरल पदार्थों के निकट संपर्क, श्वसन बूंदों के
साथ लंबे समय तक संपर्क और बिस्तर जैसी दूषित सामग्री" के माध्यम से फैलता है।
सभी यात्रिओं को दूषित सामग्री के इस्तमाल से दूर रहने के लिए भी कहा गया है। जैसे की कपडे , बिस्तर , पेस्ट , वाटर बोतल और अन्य सामग्री जो बीमार व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल में ली गई हो।
ऑनलाइन हैडलाइन स्पेशल
नेत्रा -