गुलाबजामुन तेज़ चीनी वाली एक मिठाई है जब कि गुलाब एक फूल का नाम है एवं जामुन एक फल है।
दरअसल हर समाज का भोजन वहाँ कि जलवायु एवं खाद्य पदार्थों कि उपस्थिति तय करती है।
भारत में भरपूर हरियाली है, दूध देने वाले पशु हैं। सुबह सवेरे दूध आना दिनचर्या का हिस्सा है। और हमारी अधिकांश मिठाइयाँ भी दूध से बनी होती हैं।
उन देशों में जहाँ घास के मैदान नहीं हैं, दुधारू पशुओं की कमी है वहाँ दूध को इतना महत्व नहीं दिया जाता।
हालाँकि ‘गुलाब’ शब्द फ़ारसी का है।
मूल फ़ारसी में इस फूल का वास्तविक नाम है- गुल अथवा गुल ए सुर्ख़। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस फूल के पतों के अर्क को गुलाब (गुल + आब) कहा जाता है और यही इसका सही अर्थ भी है।
आब मतलब पानी तो हम सभी जानते हैं।
भारत के हलवाई गुलाबजामुन के लिए बनाई चासनी में ‘गुल’ नामक इन फूलों ( जिनका यहाँ अब गुलाब नाम प्रचलित हो चुका था) उनकी पत्तियाँ डाल देते जिससे वह ‘गुल के आब’ की तरह महकने लगती।
तो गुलाब शब्द तो सुलझ गया
कहते हैं मुग़ल बादशाह शाहजहाँ इनके बहुत शौक़ीन थे अतः उनके लिए यह भारत में बनाई जाने लगी। परन्तु कुछ फेर बदल के साथ। आटे की जगह मावे का प्रयोग किया जाने लगा। इन्हें भी तलकर चासनी में डाला जाता है।
अब बारी है- ‘जामुन क्यों?’
चासनी में तैरते मावे के यह टुकड़े तब बेलनाकार ( cylindrical) बनाये जाते थे जो चासनी में तैरते जामुन फल की तरह लगते।
और नाम पड़ गया ‘गुलाब जामुन।’
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