पड़ते पड़ते हमने आज एक और चीज़ के बारे में जाना तो सोचा आपको भी इसके बारे में बताया जाये
बर्फ की बड़ी बड़ी चटानो वाली नदी को आमतौर पर ग्लेशियर कहा जाता है। गलेशियर संसार की पर्वत श्रृंखलाओं में बनते रहते है। आल्प्स पर्वत में ही 1200 से अधिक ग्लेशियर है। अलास्का केऊचे पहाड़ों में 25 से 50 मील लम्बे हज़ारो ग्लेशियर देखने को मिलते है।
ग्लेशियर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है। पहले प्रकार के ग्लैशियर को घाटी ग्लेशियर कहते है। जब पहाड़ों पर बर्फ गिरती है तो यह बर्फ धीरे धीरे नीचे खिसकती है। यह बर्फ पहाड़ों के बीच के रास्ते में जमा होती जाती। है.

ग्लेशियर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है। पहले प्रकार के ग्लैशियर को घाटी ग्लेशियर कहते है। जब पहाड़ों पर बर्फ गिरती है तो यह बर्फ धीरे धीरे नीचे खिसकती है। यह बर्फ पहाड़ों के बीच के रास्ते में जमा होती जाती। है.
जब ऐसे बर्फ का जमाव बहुत अधिक हो जाता है तो यह धीरे धीरे गतिशील हो जाती है। यह धीरे धीरे चलने वाले बर्फ की नदी , घाटी ग्लेशियर कहलाती है। इसके रास्ते में पड़ने वाले बर्फ के बड़े बड़े टुकड़े भी इसके साथ साथ आगे बढ़ने लगते है। रास्ते में रगड़ कारण यह टुकड़े टूट जाते है और इस तरहं हिम शैल ( Iceberg ) का जन्म होता है।
संसार में अनेक देशों में ग्लेशियर मिलते है। आज दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया के लैंबर्ट (lembert ) ग्लेश्यिर संसार का सबसे बड़ा गलेशियर है। यह 400 कि मी (250 मील ) लम्बा और 64 कि मी ( 40 मील ) चौड़ा है। इसके अतिरिक्त स्विट्ज़रलैंड का ( zermatt ) नार्वे का लौम ( Lom), फ्रासं का बोशन ( bosson ) और अमेरिका का (Nisqually ) संसार के मुख्य ग्लेशियर है।
संसार में अनेक देशों में ग्लेशियर मिलते है। आज दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया के लैंबर्ट (lembert ) ग्लेश्यिर संसार का सबसे बड़ा गलेशियर है। यह 400 कि मी (250 मील ) लम्बा और 64 कि मी ( 40 मील ) चौड़ा है। इसके अतिरिक्त स्विट्ज़रलैंड का ( zermatt ) नार्वे का लौम ( Lom), फ्रासं का बोशन ( bosson ) और अमेरिका का (Nisqually ) संसार के मुख्य ग्लेशियर है।