एक बार एक बुजुर्ग आदमी एक रास्ते पर किया देखता है की , के यह असमान उसके साथ साथ चल रहा है , फिर थोड़ी दूर जाकर किया देखता है जिस कदमों से वो चल रहा वो कदम एक कदम आगे तो दूसरा कदम पीछे इस चाल में चलते जा रहे है। लकिन जो बुजुर्ग आदमी की कार होती है वो पीछे पीछे आ रही होती है। बड़े खानदान से नाता रखता है आदमी।
बुजुर्ग आदमी कहता है कियों तू कियों पूछ रहा है .लड़का पूछता है की आप अपने परिवार के साथ कियों नहीं जा रहे आप अकेले ही कियो , आप तो बुजुर्ग है , और इतनी गर्मी में , आप थक जाओगे पैरो में चप्पल , ऐसा कियों।
किया ढून्ढ रहे हो .
आदमी कहता है मैं यह देखना चाहता हूँ की इस दुन्यावी बातों में फस कर कही मैं अपनी इंसासनीयत तो नहीं खो गया।
अपने भीतर इन्सान को ज़िंदा रखने के लिए मैं यह सब कर रहा हूँ इसलिए मैं अकेला चल रहा हूँ ताकि मुझे एहसास हो। इतना तो एहसास हुआ है की इंसान दुनियां में अकेला आया है अकेला ही जाता है। सब कुछ यहाँ रह जाता है। बुजुर्ग भावुक हो जाता है और उसकी आँखों में से आंसू बहते है। अपनी आंसू को पोछता हुआ कहता है।
कुछ दूर चलने के बाद उसको बहुत प्यास लगती है बुजर्ग पानी की तलाश में इधर उधर घूमता है। तो उसे एक नल दीखता है। वो उसके पास जाता है और पानी पीना शुरू कर देता है। लकिन वो कार में नहीं फिर भी पैदल ही चलता है
इसी बीच एक लड़का उस बूढ़े आदमी को पूछता है की आप कहा जा रहे है और किस जगह जाना चाहते है।
बुजुर्ग आदमी कहता है कियों तू कियों पूछ रहा है .लड़का पूछता है की आप अपने परिवार के साथ कियों नहीं जा रहे आप अकेले ही कियो , आप तो बुजुर्ग है , और इतनी गर्मी में , आप थक जाओगे पैरो में चप्पल , ऐसा कियों।
किया ढून्ढ रहे हो .
आदमी कहता है मैं यह देखना चाहता हूँ की इस दुन्यावी बातों में फस कर कही मैं अपनी इंसासनीयत तो नहीं खो गया।
अपने भीतर इन्सान को ज़िंदा रखने के लिए मैं यह सब कर रहा हूँ इसलिए मैं अकेला चल रहा हूँ ताकि मुझे एहसास हो। इतना तो एहसास हुआ है की इंसान दुनियां में अकेला आया है अकेला ही जाता है। सब कुछ यहाँ रह जाता है। बुजुर्ग भावुक हो जाता है और उसकी आँखों में से आंसू बहते है। अपनी आंसू को पोछता हुआ कहता है।
चलो छोड़ो तुम बताओ किया करते हो। लड़का बोला :-
मैं किया करता हूँ :-
मैं किया करता हूँ :-
पड़ी पढ़ाई समझ में आयी , इसकी बी है अलग सिहाई , मन जली बाटी , कौन समझे भाई : - बुजुर्ग बड़ा ही हैरान होता है।
वो कहता है। सुन यह तुझे किसने सिखाया। लड़का हस्ता है और कहता:- सीखी सिखाई तुसा गाल बनाई , समझण वास्ते सड़क ते आई न समझ आई किने पढ़ाई , न समझी की रौला पाई। असा समझ ओहदे चरनी लाई।
बुजुर्ग उसको पकड़ता है अपनी कार में ले जाता है और कहता . सुन तू कौन है । लकड़ा कहता है यह कार किस की है। आदमी कहता है यह मेरी ही है. तभी लड़का हसता हुआ कहता है अभी तो आप पैदल थे .यह कार। ..बुजुर्ग मैंने तुम्हे बताया न मैं कुछ समझना चाहता हूँ। लड़का फिर हस्ता है। ... पगला गया है बेटा या कार से मोहब्बत हो गयी।
लड़का बोला : हमारी जिनसे मोहब्बत है , वो तो मन तन रूह में बस्ते है , हम जब इश्क़ में हस्ते है , वो इश्क़में बरसते है। आदमी हैरान हो जाता है , और देखते देखते
लड़का कहता है: जग जान डे विच जीव है , हर मिल्या एक बीज है , हर रीज़ डा कोई मरीज है. यह जग बड़ा ही अजीब है , नशा इश्क़ डा ही रूह करीब है।
लड़का बुजुर्ग की तरफ देखते हुए फिर कहता है :- एक समाया जग नू पाया , जग पाया मन बनाया , मन बनाया तन सजाया। तन सजाया कर्म कमाया , यह सभु खेल सव्यभू रचाया।
लड़का कहता है: जग जान डे विच जीव है , हर मिल्या एक बीज है , हर रीज़ डा कोई मरीज है. यह जग बड़ा ही अजीब है , नशा इश्क़ डा ही रूह करीब है।
लड़का बुजुर्ग की तरफ देखते हुए फिर कहता है :- एक समाया जग नू पाया , जग पाया मन बनाया , मन बनाया तन सजाया। तन सजाया कर्म कमाया , यह सभु खेल सव्यभू रचाया।
बुजुर्ग उसके संस्कारों से हैरान परेशान होकर उसे अपने हीरे सोने में जड़ी अंगूठी देता है यह मेरे तरफ से तुझे :-
लड़का कहता है:- तन मन सोना बनाके एहने हीरा रूह समायी है। अँगूठी ता बुनियादी है। रूह दी ता चमक ही दुनियां विच छाई है। फिर लड़का कहता है यह ता ( दुन्यावी अंगूठी सड़े किस काम आई है)
लड़का कहता है:- तन मन सोना बनाके एहने हीरा रूह समायी है। अँगूठी ता बुनियादी है। रूह दी ता चमक ही दुनियां विच छाई है। फिर लड़का कहता है यह ता ( दुन्यावी अंगूठी सड़े किस काम आई है)
बुजरुग उस लड़के को कहता है आपके माता पिता कहा है। लड़का कहता इस वक़्त घर पर है जब बुजुर्ग उसके माता पिता को मिलने जाता है तो तो देखता है की सब कुछ होने के बावजूद भी इस
परिवार में अहकार नहीं है , सत्कार है , सेवा भाव है , इश्क़ है , एक अलग बेहतर संसार है।
बुजुर्ग बोलै
आज मैं राब पाया है, जिसने सारा खेल रचाया है , उचे औदे डा मैं अपना रौब मिट्टी विच ढाया है , विच बसे अहकार उसने उस नू मिटाया है .. इस जग विच आज मैं साक्षात् परिवारे रब न पाया है)
आज समझ आया बुजुर्ग कहता है। बेटा तूने मेरे आज आंखे खोल दी . मैं बहुत पैसा पैसा करता था अपने औदे का मुझमें घमंड था , अहकार भीतर पनप रहा था . आज मालूम हुआ औदा बड़ा नहीं होता , बल्कि बड़ा होता है तो इंसान का इन्सानियत के प्रति फ़र्ज़ है। अगर मैं आज घर पर होता तो तुमसे कैसे मिलता। यह सब वक़्त का कमाल है। और मैंने अपनी जीवन में एक और अच्छा कर्म जोड़ लिया।
बुजुर्ग बोलै
आज मैं राब पाया है, जिसने सारा खेल रचाया है , उचे औदे डा मैं अपना रौब मिट्टी विच ढाया है , विच बसे अहकार उसने उस नू मिटाया है .. इस जग विच आज मैं साक्षात् परिवारे रब न पाया है)
आज समझ आया बुजुर्ग कहता है। बेटा तूने मेरे आज आंखे खोल दी . मैं बहुत पैसा पैसा करता था अपने औदे का मुझमें घमंड था , अहकार भीतर पनप रहा था . आज मालूम हुआ औदा बड़ा नहीं होता , बल्कि बड़ा होता है तो इंसान का इन्सानियत के प्रति फ़र्ज़ है। अगर मैं आज घर पर होता तो तुमसे कैसे मिलता। यह सब वक़्त का कमाल है। और मैंने अपनी जीवन में एक और अच्छा कर्म जोड़ लिया।
लड़का कहता है आप यह देख रहे हो असामान साथ साथ चलता है , वैसे ही इंसान कर्मो से पीछा नहीं छुड़ा सकता।
बुजुर्ग उसकी माता पिता को प्रणाम करता हुआ कहता है आपके परिवार का दीदार हुआ मैं धन्य हो गया
सुरक्षित रहे , सभी ख्याल रखे
ऑनलाइन हैडलाइन स्पेशल
........
written by:-sbg
सुरक्षित रहे , सभी ख्याल रखे
ऑनलाइन हैडलाइन स्पेशल
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