जिसकी नज़र है उसका इस जग पर असर है।
ऐ बन्दे तूने सच को झूठलाया… फिर देख …उसके असर ने इस जग में सच दिखाया
कोई आता है कोई जाता है उसने ही तो यह मार्ग बनाया।
देख उसने सबको नाच नचाया
तू भूल रहा था इंसानियत को... देख नियत को प्रभाव द्वारा
कर्मो के दिखलया। .
तूने कर्मो का जाल बना बना कर बहुत मन दुखाया। .देख उसके असर ने
दुनियां को ऐसा नाच नचाया।
अहकार में जी रहा था तू उसने अंहकार को ही.. ज़माने में आविष्कार बनाया
दुनियां को ऐसा नाच नचाया।
अहकार में जी रहा था तू उसने अंहकार को ही.. ज़माने में आविष्कार बनाया
मनुष्य जीवन को ना समझा...देख उसके असर ने कैसा भयंकर तांडव मचाया। ..
जाप करते जीब ना थकी मन को पापी बनाया। पांखण्ड को तूने अगर अपनाया
उसने पांखण्ड को अग्नि द्वार पहुँचाया।
देख उसने सबको नाच नचाया
इधर से लिया उधर दिया देते वक्त भी देख लिया फिर जब भेस बदल कर वो आया
दुनियां को दुनियावी बना यह कौन सा अलाप लगवाया। …
देख उसने सबको नाच नचाया
सुख अपने को खुद जलाया। दुसरे के सुख में तूने अपना जाल जब बनाया
देख उसके इश्क़ ने सुख के साथ ही बंधन बनाया। ..फिर उसके असर ने
तेरे सुख को तुझे से ही दूर करवाया।
देख उसने सबको नाच नचाया
देख उसके असर ने कैसा नाच नचाया
तूने ताकत को दर्शाया .वक़्त ने अपना रूतबा दिखाया
देख उसके असर ने गौ__ __ ….दुनियां का कैसा रंग बनाया
भेद को उसके न कोई भेद पाया। भेदा तो फिर समझ न पाया
मायाजाल ने खेल रचाया। खेला तो वो खेल न पाया
देख उसके असर ने
कैसा यह नाच नचाया …
देख उसने सबको नाच नचाया…
-असर
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