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⇨---“Health is a state of complete harmony of the body, mind and spirit. ...“Good health is not something we can buy. However, it can be an extremely valuable savings account.”-Anne Wilson Schaef....You can’t control what goes on outside, but you CAN control what goes on inside.” ...To keep the body in good health is a duty…otherwise we shall not be able to keep the mind strong and clear.” – Buddha,,


एतेहासिक तस्वीर चंद्रयान के द्वारा भेजी गई पहली तस्वीर , विक्रमलेन्डर ने किया कमाल दुनियां देख रही है भारत का धमाल। विज्ञानिको की भावना उनकी मोहब्बत चद्रयान .चाँद के साउथ पोल पर उतरने वाला भारत दुनियां का पहला देश .....ऑनलाइन हैडलाइन स्पेशल --ऑनलाइन हैडलाइन स्पेशल --ऑनलाइन हैडलाइन स्पेशल --ऑनलाइन हैडलाइन स्पेशल --ऑनलाइन हैडलाइन स्पेशल --ऑनलाइन हैडलाइन स्पेशल --ऑनलाइन हैडलाइन स्पेशल --ऑनलाइन हैडलाइन स्पेशल --ऑनलाइन हैडलाइन स्पेशल --

Tuesday 30 June 2020

पेन की तरह पेन्सिल भी बड़े काम की चीज़ है।

पेन्सिल :-  पेन की तरह  पेन्सिल भी बड़े काम की चीज़ है।  इसे लिखने के लिए  तो प्रयोग होता ही है।  साथ ही साथ तरह तरह के चित्र  बनाने में भी पेंसिल काम आती है। इंजीनयर नक्शा बंनाने में पेंसिल को  काम में लेते  है। औ मार्कीट में कई प्रकार और रंगो के पेंसिल आज उपलब्ध है।

पेन्सिल शब्द की उत्पति लैटिन भाषा " पेनिकुलस (Penicullus) शब्द से हुई , जिसका अर्थ है , छोटी पूछ।  वास्तव में शुरू शुरू में पेंसिल शब्द इस प्रकार के नुकीले ब्रश के लिए प्रयोग होता  था।  लकिन आज की पेंसिल उस ब्रश से बिलकुल अलग है।  पेन्सिल का निर्माण लगभग 200 साल से भी पहले शुरू हुआ था।  सुनने में आता है की 500 वर्ष पहले  कम्बरलैंड (इंगलैंड ) की एक खान से लोगो ने ग्रेफाइट का पता लगाया।  

तब इससे  कुछ पेंसिल बनाई गए थी। गग्रेफाइट का प्रयोग बड़े पैमाने पर 1760 में न्यूरेबर्ग (जर्मनी) के फेबर परिवार ने किया।   ,लेकिन पेंसिल बंनाने में इन्हे अधिक सफलता नहीं मिली।  .

1765  एन जे कोते  नाम के व्यक्ति ने ग्रेफाइट में चिकनी मिट्टी मिलाई  और इस मिश्रण की सलाईया बनाकर भट्टी मैं तपाया। इन्ही सलाइयों से पेंसिल बनाई गयी।  जो बहुत लोकप्रसिद्ध हुई।  

सुनने में आया जिन पेंसिल को हम लेड पेंसिल कहते है  बल्कि वह भी गग्रेफाइट से बनाई जाती है।  .
हमने 
हमने एक और किताब में पड़ा था की संसार में 350 अधिक प्रकार की पेन्सिल अलग अलग कामो   बनाई   जाती है।  ऐसे पेन्सिल भी बनाई जा चुकी है , जिनसे कांच , कपडा, प्लास्टिक और फिल्मो पर लिखा जा सकता है।

ऐसे पेंसिल भी बन रही है जिनका लिखा हुआ वर्षो तक भी धुंधला नहीं पड़ता।  

आज  अलग अलग रंग से बनी पेंसिल बच्चो को जहाँ मन को भाती है , वही सबको लुभाती  भी है।
यह पेंसिल बहुत बड़ा रुतबा रखती है।

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